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लेखनी कहानी -11-Apr-2022

ना हो हाथों में हाथ उसका, फिर भी एक आस रहने दो।

जरूर मिलेंगे कहीं ना कहीं, दिल में ये एहसास रहने दो।


बाहरी दुनिया के लिए भले वो आम है तो क्या हुआ,

बस मेरे दिल में तो उसकी जगह को खास रहने दो।


उसे छीन लिया है चाहे इस जालिम जमाने ने मुझसे,

जब मिली हमारी नज़र, जिंदा मुझमें वो एहसास रहने दो।


वो नहीं शामिल जिंदगी में और ना ही होगी कभी मिलेगी

पर मेरे दिल में बसी उसकी याद का तो आवास रहने दो।


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2 Comments

Dr. Arpita Agrawal

23-Jun-2022 06:16 AM

अति सुंदर 👌👌

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Gunjan Kamal

23-Jun-2022 12:02 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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